कम्प्यूटर के विकास का वर्गीकरण | Classification of computer development
कम्प्यूटर
के विकास का वर्गीकरण | Classification of computer
development
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कम्प्यूटर के विकास का वर्गीकरण | Computer ke Vikas ka Vargikaran
हेलो
दोस्तों,
StudyFundaaa द्वारा आप सभी को प्रतिदिन प्रतियोगी परीक्षाओं
से सम्बंधित जानकारी Share की जाती है. जैसा कि हम सभी जानते
हैं कि प्रत्येक Competitive exams में कम्प्यूटर से
सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं. आज इस पोस्ट में हम आपके समक्ष जो जानकारी Share
कर रहे हैं वह ‘’कम्प्यूटर के विकास का वर्गीकरण’’
(Classification of computer development) की है. यह पोस्ट विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के
लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
Computer Ke Vikas Ka Vargikaran |
(1) पहली पीढ़ी
के कम्प्यूटर (First Generation of Computer) (1942-1955)
·
पहली पीढ़ी के कम्प्यूटर
के निर्माण में निर्वात ट्यूब (Vacuum Tubes) का
प्रयोग किया गया।
·
निर्वात ट्यूब द्वारा
अधिकतम ऊष्मा उत्पन्न करने के कारण इन्हें वातानुकूलित वातावरण में रखना पड़ता
था।
·
ये कम्प्यूटर आकार में
बड़े और अधिक ऊर्जा खपत करने वाले थे। इनकी भंडारण क्षमता कम तथा गति मंद थी।
इनमें त्रुटि (Error) होने की संभावना भी अधिक रहती
थी। अत: इनका संचालन एक खर्चीला काम था।
·
डाटा तथा सॉफ्टवेयर के
भंडारण के लिए पंचकार्ड तथा पेपर टेप का प्रयोग किया गया। (First
Generation of Computer in hindi)
·
सॉफ्टवेयर मशीनी भाषा (Machine
Language) तथा निम्न स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा (Low Level
Programming Language) में तैयार किया जाता था।
·
पहली पीढ़ी के कम्प्यूटर
का उपयोग मुख्यत: वैज्ञानिक अनुसंधान तथा सैन्य कार्यों में किया गया।
·
कम्प्यूटर का गणना समय
या गति मिली सेकेण्ड (Mille Second-ms) में थी। (1ms
= 10-3 या 1/1000 sec)
·
एनिएक (ENIAC),
यूनीवैक (UNIVAC) तथा आईबीएम (IBM) के मार्क-1 इसके उदाहरण है।
·
1952 में डॉ. ग्रेस हॉपर
द्वारा असेम्बली भाषा (Assembly Language) के
आविष्कार से प्रोग्राम लिखना कुछ आसान हो गया।
जरूर पढ़े - कम्प्यूटर मेमोरी क्या है एवं इसके प्रकार With MCQ
(2) दूसरी पीढ़ी
के कम्प्यूटर (Second Generation of Computer)
(1955-1964)
·
दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों
में निर्वात ट्यूब की जगह सेमीकंडक्टर ट्रांजिस्टर (Transistor)
का प्रयोग किया गया जो अपेक्षाकृत हल्के, छोटे
और कम विद्युत खपत करने वाले थे।
·
ये आकार में पहले की
तुलना में कम बड़े और कम ऊर्जा खपत करने वाले थे। इनकी भंडारण क्षमता भी पहले की
तुलना में अधिक थी। अत: इनका संचालन में भी होने वाले खर्च में भी कमी आई।
·
डाटा तथा सॉफ्टवेयर के
भंडारण के लिए मेमोरी के रूप में चुंबकीय भंडारण उपकरणों (Magnetic
Storage Devices) जैसे- मैग्नेटिक टेप तथा
मैग्नेटिक डिस्क आदि का प्रयोग आरंभ हुआ। इसमें भंडारण क्षमता था कम्प्यूटर की
गति में वृद्धि हुई। (Second Generation of Computer in
hindi)
·
कम्प्यूटर के लिए
सॉफ्टवेयर उच्च स्तरीय असेम्बली भाषा (High Level Assembly Language)
में तैयार किया गया। असेम्ब्ली भाषा में प्रोग्राम लिखने के लिए
निमानिक्स कोड (mnemonics Code) का प्रयोग किया जाता है जो
याद रखने में सरल होते हैं। अत: असेम्बली भाषा में सॉफ्टवेयर तैयार करना आसान
होता है।
·
दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर
का उपयोग व्यवसाय तथा इंजीनियरिंग डिजाइन में किया गया।
·
कम्प्यूटर के प्रोसेस
करने की गति तीव्र हुई जिसे अब माइक्रो सेकेण्ड (micro second) में मापा जाता था। (1ms = 10-6 Sec या 1
सेकेण्ड का दस लाखवां भाग)।
·
बैच ऑपरेटिंग सिस्टम (Batch
Operating System)का आरंभ किया गया।
·
सॉफ्टवेयर में कोबोल (COBOL
– Common Business Oriented Language) और फोरट्रान (FORTRAN
– Formula Translation) जैसे उच्च स्तरीय भाषा का विकास आईबीएम
द्वारा किया गया। इससे प्रोग्राम लिखना पहले के तुलना में आसान हुआ।
(3) तीसरी पीढ़ी
के कम्प्यूटर (Third Generation
of Computer) (1964-1975)
·
तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों
में ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट चिप (IC-Integrated
Circuit Chip) का प्रयोग आरंभ हुआ। SSI (Small Scale
Integration) तथा बाद में MSI (Medium Scale Integration) का विकास हुआ। जिसमें एक
इंटीग्रेटेड सर्किट चिप में सैकड़ों इलेक्ट्रानिक उपकरणों जैसे- ट्रांजिस्टर,
प्रतिरोधक (Register) तथा संधारित्र (Capacitor) का निर्माण संभव हुआ।
·
मैग्नेटिक टेप तथा डिस्क
के भंडारण क्षमता में वृद्धि हुई। सेमीकंडक्टर भंडारण उपकरणों (Semi
Conductor Storage Devices) का विकास हुआ। रैम (RAM-Random
Access Memory) के कारण कम्प्यूटर की गति में वृद्धि हुई।
·
उच्च स्तरीय भाषा में
पीएल-1,
(PL/1), पास्कल (PASCAL) तथा बेसिक (BASIC) का विकास हुआ।
·
कम्प्यूटर का व्यावसायिक
व व्यक्तिगत उपयोग आरंभ हुआ। (Third Generation of Computer in
hindi)
·
इनपुट तथा आउटपुट उपकरण
के रूप में क्रमश: की-बोर्ड तथा मॉनीटर का
प्रयोग प्रचलित हुआ। की-बोर्ड के प्रयोग से कम्प्यूटर में डाटा तथा निर्देष
डालना आसान हुआ।
·
कम्प्यूटर का गणना समय
नैनो सेकेण्ड (ns) में मापा जाने लगा। इससे कम्प्यूटर
के कार्य क्षमता में तेजी आई। (1 ns = 10-9 Sec)।
·
टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग
सिस्टम (Time
Sharing Operating System) का विकास हुआ।
·
जैसे -
IBM System360, NCR 395, B6500 इसके उदाहरण है।
जरूर पढ़े - इनपुट डिवाइस क्या है एवं इसके प्रकार With MCQ
(4) चौथी पीढ़ी
के कम्प्यूटर (Fourth Generation of Computer)
(1975-1989)
·
चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटरों
में माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया गया। LSI (Large Scale
Integration) तथा VLSI (Very Large Scale Integration) से माइक्रो प्रोसेसर की क्षमता में वृद्धि हुई।
·
माइक्रो प्रोसेसर के इस्तेमाल
से अत्यंत छोटा और हाथ में लेकर चलने योग्य कम्प्यूटरों का विकास संभव हुआ।
·
चुम्बकीय डिस्क और टेप
का स्थान अर्धचालक (Semi-conductor) मेमोरी ने
ले लिया। रैम (RAM) की क्षमता में वृद्धि से कार्य अत्यंत
तीव्र हो गया।
·
उच्च स्तरीय भाषा (High
Level Language) में ‘C’ भाषा का विकास हुआ
जिसमें प्रोग्रामिंग सरल था तथा उच्च स्तरीय भाषा का मानकीकरण (Standardization) किया गया।
·
सॉफ्टवेयर में ग्राफिकल
इंटरफेस (GUI
– Graphical User Interface) के विकास ने कम्प्यूटर के उपयोग को
सरल बना दिया।
·
समानान्तर कम्प्यूटिंग
(Parallel
Computing) तथा मल्टीमीडिया का प्रचलन प्रारंभ हुआ। (Fourth
Generation of Computer in hindi)
·
मल्टी टॉस्किंग (Multitasking)
के कारण कम्प्यूटर का प्रयोग कर एक साथ कई कार्यों को संपन्न
करने में किया जाने लगा।
·
ऑपरेटिंग सिस्टम में
एम.एस. डॉस (MS-DOS), माइक्रोसॉफ्ट विण्डोज (MS-Windows)
तथा एप्पल ऑपरेटिंग सिस्टम (Apple OS) का
विकास हुआ।
·
कम्प्यूटर की गणना समय
पीको सकेण्ड (Pico second – ps) में मापा जाने लगा। (1
ps = 10-12 Sec)A
·
उच्च गति वाले कम्प्यूटर
नेटवर्क जैसे लेन (LAN) व वैन (WAN) का विकास हुआ।
(5) पांचवी पीढ़ी
के कम्प्यूटर (Fifth Generation
of Computer) (1989-से अब तक)
·
ULSI (Ultra Large Scale Integration) तथा SLSI (Super Large Scale Integration) से करोड़ो
इलेक्ट्रानिक उपकरणों से युक्त माइक्रो प्रोसेसर चिप का विकास हुआ।
·
इससे अत्यंत छोटा तथा
हाथ में लेकर चलने योग्य कम्प्यूटरों का विकास हुआ जिनकी क्षमता अंत्यत तीव्र
तथा अधिक है।
·
भंडारण के लिए आप्टिकल
डिस्क (Optical
Disc) जैसे- सीडी (CD), डीवीडी (DVD), या ब्लू रे डिस्क (Blu-ray Disc) का विकास हुआ
जिनकी भंडारण क्षमता अत्यंत उच्च थी।
·
नये कम्प्यूटरों में
कृत्रिम ज्ञान क्षमता (Artificial Intelligence) को
विकसित करने की कोशिश की गई ताकि परिस्थिति अनुसार कम्प्यूटर निर्णय ले सके।
·
दो प्रोसेसर को एक साथ
जोड़कर तथा पैरेलल प्रोसेसिंग द्वारा कम्प्यूटर प्रोसेसर की गति को अत्यंत
तीव्र बनाया गया।
·
नेटवर्किंग के क्षेत्र में
इंटरनेट (Internet),
ई-मेल (e-mail) तथा डब्ल्यू
डब्ल्यू डब्ल्यू (www- world wide web) का विकास हुआ।
·
इंटरनेट तथा सोशल मीडिया
के विकास ने सूचनाओं के आदान-प्रदान तथा एक दूसरों
से संपर्क करने के तरीकों में क्रांतिकारी परिवर्तन संभव बनाया। (Fifth
Generation of Computer in hindi)
·
मल्टीमीडिया तथा
एनिमेशन के कारण कम्प्यूटर का शिक्षा तथा मनोरंजन आदि के लिए भरपूर उपयोग किया
जाने लगा।
कार्यपद्धति के
आधार पर कम्प्यूटर को तीन प्रकार में बांटा जाता है-
(1)
एनालॉग कम्प्यूटर (Analog Computer)
भौतिक
मात्राओं,
जैसे- दाब, तापमान, लम्बाई,
पारे इत्यादि को मापकर उनके परिणाम को अंकों में प्रस्तुत करने के
लिए एनालॉग कम्प्यूटर (analog computer in hindi) का उपयोग
किया जाता है क्योंकि ये कम्प्यूटर मात्राओं को अंकों में प्रस्तुत करते हैं,
इसलिए इनका उपयोग विज्ञान और इन्जीनियरिंग क्षेत्रों में अधिक किया
जाता है। इसके उदाहरण हैं- स्पीडोमीटर, भूकम्प-सूचक यन्त्र
आदि। (analog computer kya hai)
(2)
डिजिटल कम्प्यूटर (Digital Computer)
अंकों
की गणना करने के लिए डिजिटल कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाता है। आधुनकि युग में
प्रयुक्त अधिकतर कम्प्यूटर डिजिटल कम्प्यूटर की श्रेणी में ही आते हैं। ये इनपुट
किए गए डेटा और प्रोग्राम को 0 और 1 में परिवर्तित करके इन्हें इलेक्ट्रॉनिक रूप
में प्रयुक्त करते हैं। आधुनकि डिजिटल कम्प्यूटर में द्विआधारी पद्धति (Binary
System) का प्रयोग किया जाता है। डिजिटल कम्प्यूटर (digital
computer in hindi) का उपयोग व्यापार में, घर
के बजट में, एनीमेशन के क्षेत्र में विस्त़ृत रूप से किया
जाता है। इसके उदाहरण हैं- डेस्कटॉप कम्प्यूटर, लैपटॉप आदि। (digital
computer kya hai)
(3)
हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer)
हाइब्रिड
कम्प्यूटर उन कम्प्यूटरों को कहा जाता है, जिनमें
एनालॉग तथा डिजिटल दोनों ही कम्प्यूटरों के गुण सम्मिलित हों अर्थात् एनालॉग तथा
डिजिटल के मिश्रित रूप को हाइब्रिड कम्प्यूटर (hybrid computer in hindi) कहा जाता है। इनमें इनपुट तथा आउटपुट एनालॉग रूप में होता है परन्तु
प्रोसेसिंग डिजिटल रूप में होता है। चिकित्सा के क्षेत्र में इसका सर्वाधिक उपयोग
किया जाता है। इसके उदाहरण हैं- ECG और DIALYSIS मशीन।
आकार के आधार पर
कम्प्यूटर पाँच प्रकार के होते हैं, जिनका
संक्षिप्त विवरण निम्नवत है।
(1)
मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Main Frame Computer)
मेनफ्रेम
कम्प्यूटर में मुख्य कम्प्यूटर एक केंद्रीय स्थान पर जाता है। जो सभी डाटा और
अनुदेषों को स्टोर करता है। उपयोगकर्ता Dumb Terminal के माध्यम से मेनफ्रेम कम्प्यूटर से जुड़ता है तथा केंद्रीय डाटाबेस और
प्रोसेसिंग क्षमता का उपयोग करता है। मेनफ्रेम कम्प्यूटर (mainframe
computer in hindi) आकार में काफी बड़े होते हैं। इनकी डाटा स्टोरेज
क्षमता अधिक होती है तथा डाटा प्रोसेस करने की गति तीव्र होती है। मेनफ्रेम
कम्प्यूटर से जुड़कर एक साथ कई लोग अलग-अलग कार्य कर सकते हैं। अतः इसे मल्टी यूजर (Multi
User) कम्प्यूटर कहा जाता है। मेनफ्रेम कम्प्यूटर में टाइम शेयरिंग (Time
Sharing) तथा मल्टी प्रोग्रामिंग (Multi Programming) आपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग किया जाता है। इनका उपयोग - बैंकिग, रक्षा, अनुसंधान, रेलवे आरक्षण,
अंतरिक्ष विज्ञान आदि क्षेत्रों में किया जाता है। (mainframe
computer kya hai)
(2)
मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer)
ये
आकार में मेनफ्रेम कम्प्यूटर से छोटे जबकि माइक्रो कम्प्यूटर से बड़े होते हैं।
इसका आविष्कार 1965 में डीइसी (DEC – Digital Equipment
Corporation) नाम कम्पनी ने किया। इन कम्प्यूटर में एक से अधिक
माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया जाता है। मिनी कम्प्यूटर (mini computer
in hindi) की संग्रहरण क्षमता और गति दोनों ही अधिक होती है। इस पर
एक से अधिक व्यक्ति एक साथ काम करे सकते हैं, अतः संसाधनों
को साझा उपयोग होता है। इनका उपयोग - यात्री आरक्षण, बड़े
ऑफिस, कम्पनी, अनुसंधान आदि में किया
जाता है। (mini computer kya hai)
(3)
माइक्रो कम्प्यूटर (Micro Computer) –
माइक्रो
कम्प्यूटर में प्रोसेसर के रूप में माइक्रो प्रोसेसर का उपयोग होता है। वर्ष 1970
में तकनीकी क्षेत्र में इण्टेल द्वारा माइक्रोप्रोसेसर (Microprocessor)
का आविष्कार हुआ, जिसके प्रयोग से कम्प्यूटर
प्रणाली काफी सस्ती हो गई। माइक्रो कम्प्यूटर (micro computer in hindi) इतने छोटे होते थे कि इन्हें डेस्क (Desk) पर
सरलतापूर्वक रखा जा सकता था। इन्हें ‘‘कम्प्यूटर ऑन ए चिप‘‘
(Computer On A Chip) भी कहा जाता है। आधुनिक युग में माइक्रो
कम्प्यूटर फोन के आकार, पुस्तक के आकार तथा घड़ी के आकर तक
में उपलब्ध है। इनकी क्षमता लगभग 1 लाख संक्रियाएँ प्रति सेकेण्ड होती हैं। इनका
उपयोग - घर, ऑफिस, विद्यालय, व्यापार, उत्पादन, रक्षा,
मनोरंजन, चिकित्सा आदि क्षेत्रों में किया
जाता है। (micro computer kya hai)
जरूर पढ़े - कम्प्यूटर नेटवर्क क्या है इसके प्रकार With MCQ
माइक्रो कम्प्यूटर्स (Micro Computer) कई प्रकार के होते है।
(a) पर्सनल
कम्प्यूटर (Personal Computer-PC) -
इसे डेस्कटॉप कम्प्यूटर (Desktop Computer) भी कहा
जाता है। आजकल प्रयुक्त होने वाले पर्सनल कम्प्यूटर वास्तव में माइक्रो कम्प्यूटर
ही हैं। इसमें की-बोर्ड, मॉनीटर तथा सिस्टम यूनिट होते हैं।
सिस्टम यूनिट में सीपीयू (CPU-Central Processing Unit), मेमारी तथा अन्य हार्डवेयर होते हैं। यह छोटे
आकार का सामान्य कार्यों के लिए बनाया गया कम्प्यूटर है। इस पर एक बार में एक ही
व्यक्ति कार्य कर सकता है। इसी कारण इसे पर्सनल कम्प्यूटर (personal
computer in hindi) कहा जाता है। इसका आपरेंटिंग सिस्टम एक साथ कई
कार्य करने की क्षमता वाला (Multitasking) होता है। पीसी को
टेलीफोन और मॉडेम (Modem) की सहायता से आपस में या इंटरनेट
से जोड़ा जा सकता है। (personal computer kya hai)
उपयोग
- पीसी का विस्तृत उपयोग घर, ऑफिस, व्यापार, शिक्षा, मनोरंजन,
डाटा संग्रहण, प्रकाशन आदि अनेक क्षेत्रों में
किया जा रहा है।
पीसी का विकास 1981 में हुआ जिसमें
माइक्रो प्रोसेसर-8088 का प्रयोग किया गया। इसमें हार्ड डिस्क ड्राइव लगाकर उसकी
क्षमता बढ़ायी गयी तथा इसे पीसी-एक्ट टी (PC-XT – Personal
Computer-Extended Technology) नाम दिया गया। 1984 में नये माइक्रो
प्रोसेसर-80286 से बने पीसी को पीसी-एटी (PC-AT – Personal
Computer-Advanced Technology) नाम दिया गया। वर्तमान पीढ़ी के सभी
पर्सनल कम्प्यूटर को पीसी-एटी ही कहा जाता है।
(b) लेपटॉप
(Laptop)
- यह पीसी (PC) की
तरह ही कार्य करता है, परन्तु आकार में पीसी से भी छोटा तथा
कहीं भी ले जाने योग्य होता है। और साधारण व्यक्ति भी इसे खरीदकर उपयोग मे ला सकता
है। इसमें एक मुड़ने योग्य एलसीडी (LCD) मॉनीटर, की-बोर्ड, टच पैड, हार्डडिस्क,
फ्लापी डिस्क ड्राइव, सीडी/डीवीडी ड्राइव और
अन्य पोर्ट रहते है। चूंकि इसका उपयोग गोद (Lap) पर रखकर
किया जाता है, अतः इसे लेपटॉप कम्प्यूटर (Laptop
Computer) भी कहते है। लेपटॉप (laptop in hindi) को कभी-कभी ‘‘नोटबुक‘‘(Notebook) भी कहा जाता है। वाई-फाई और ब्लु-टुथ की सहायता से इंटरनेट का भी उपयोग
किया जा सकता है। विद्युत के बगैर कार्य कर सकने के लिए इसमें चार्ज की जाने वाली
बैटरी का प्रयोग किया जाता है। (leptop kya hai)
(c) पॉमटाप
(Palmtop)
- यह लैपटॉप की तरह पोर्टेबल पर्सनल कम्प्यूटर है। पॉमटाप
(palmtop
in hindi) लेपटॉप से भी हल्का और छोटा होता है। यह हैण्डहेल्ड
ऑपरेटिंग प्रणाली का इस्तेमाल करता है। इसे हथेली (Palm) पर
रखकर उपयोग किया जाता है, अतः पॉमटाप (Palmtop) कहा जाता है। इसमें की-बोर्ड की जगह इसमें ध्वनि द्वारा इनपुट का कार्य
किया जाता है। इसे पीडीए (PDA-Personal Digital Assistant) भी
कहा जाता है। (palmtop kya hai)
(d) टैबलेट
कम्प्यूटर (Tablet Computer) -
टैबलेट एक छोटा कम्प्यूटर है जिसमे की-बोर्ड या माउस का प्रयोग नहीं होता। इसमें
इनपुट के लिए स्टाइलस (Stylus), पेन या टच
स्क्रीन तकनीक का प्रयोग होता है। टैबलेट में डाटा डालने के लिए Virtual या On Screen Key board का प्रयोग किया जाता है।
इसे वायरलेस नेटवर्क द्वारा इंटरनेट से भी जोड़ जा सकता है। इसका प्रयोग स्मार्टफोन
की तरह भी किया जा सकता है। चूंकि टैबलेट कम्प्यूटर का प्रयोग हाथ में रखकर किया
जाता है, अतः इसे Hand held computer भी
कहा जाता है। (tablet computer kya hai)
(e) वर्क
स्टेशन (Work Station) -
वर्क स्टेशन एक शक्तिशाली पीसी (PC) है, जो अधिक प्रोसेसिंग क्षमता, विशाल भंडारण और बेहतर
डिस्प्ले को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। वर्क स्टेशन (workstation in
hindi) पर एक बार में एक ही व्यक्ति कार्य कर सकता है। इनका उपयोग -
वैज्ञानिक, इंजीनियरिंग, भवन निर्माण
आदि क्षेत्रों में वास्तविक परिस्थितियों को उत्पन्न कर (Simulation) उनका अध्ययन करने के लिए। (work station kya hai)
(f) स्मार्टफोन
(Smart
Phone) - स्मार्टफोन एक मोबाइल फोन है जिसमें
कम्प्यूटर की लगभग सभी विशेषताएं मौजूद रहती हैं। इसमें डाटा इनपुट के लिए टच
स्क्रीन तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग कम्प्यूटर प्रोसेसिंग के कुछ
कार्यों तथा इंटरनेट का प्रयोग करने के लिए किया जा सकता है। स्मार्टफोन का उपयोग
एक हाथ से किया जा सकता है। जबकि टैबलेट या पीडीए को दोनों हाथों से चलाना पड़ता
है। (smart
phone kya hai)
जरूर पढ़े - कम्प्यूटर का उद्भव एवं विकास वस्तुनिष्ठ प्रश्न सहित
(4)
सुपर कम्प्यूटर (Super Computer)
अत्यधिक
तीव्र प्रोसेसिंग शक्ति और विशाल भंडारण क्षमता वाले कम्प्यूटर 'सुपर कम्प्यूटर' कहलाते हैं। सुपर कम्प्यूटर (super
computer in hindi) का निर्माण उच्च क्षमता वाले हजारों प्रोसेसर को
एक साथ समानान्तर क्रम में जोड़कर किया जाता है। इसमें मल्टी प्रोसेसिंग (Multi
processing) और समानान्तर प्रोसेसिंग (parallel processing) का उपयोग किया जाता है। जिसके द्वारा किसी भी कार्य को टुकड़ों में
विभाजित किया जाता है तथा कई व्यक्ति एक साथ कार्य कर सकते हैं। अतः इन्हें मल्टी
यूजर कम्प्यूटर कहा जाता है। सुपर कम्प्यूटर का मुख्य उपयोग मौसम की भविष्यवाणी
करने, एनीमेशन तथा चलचित्र का निर्माण करने, अंतरिक्ष यात्रा के लिए अन्तरिक्ष यात्रियों को अन्तरिक्ष में भेजने,
बड़ी वैज्ञानिक और शोध प्रयोगशालाओं में शोध व खोज करने इत्यादि
कार्यों में किया जाता है। (super computer kya
hai)
·
विश्व का प्रथम सुपर
कम्प्यूटर क्रे रिसर्च कम्पनी द्वारा 1976 में विकसित ‘‘क्रे-1 (Cray-1) था। (pratham
supercomputer ka naam)
·
भारत का प्रथम सुपर
कम्प्यूटर ‘‘परम‘‘ था जिसे
सी-डैक (C-DAC- Centre for Development of Advanced Computing), पुणे द्वारा सन् 1991 में किया गया था। इसका विकसित रूप ‘‘परम-10000‘‘ भी तैयार कर लिया गया है। (bharat
ka pratham super computer ka naam kya hai)
·
पेस सीरीज के सुपर
कम्प्यूटर डीआरडीओ (DRDO- Defence Research and Development
Organization) हैदराबाद तथा अनुपम सीरीज के कम्प्यूटर बार्क (BARC-
Bhabha Atomic Research Centre) के द्वारा विकसित किया गया।
·
सुपर कम्प्यूटर के
प्रोसेसिंग स्पीड की गणना फ्लोपस (FLOPS- Floating Point
Operations Per Second) में की जाती है। यहां फ्लोटिंग प्वाइंट का
तात्पर्य कम्प्यूटर द्वारा संपन्न किये गये किसी भी कार्य से है जिसमें भिन्न
संख्याएं (Fractional numbers) भी शमिल हो। वर्तमान में सुपर कम्प्यूटर की गति
पेटा फ्लाप्स (Peta Flops) में मापी जा रही है। (1
Peta Flops = 1015 Flops).
कम्प्यूटर
के विकास का वर्गीकरण से संबंधित वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Important Question Computer MCQ Quiz)
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जरूर पढे- जनवरी से दिसंबर 2024 करंट अफेयर्स1. वह कम्प्यूटर जिसका निर्माण प्रथम पीढी कम्प्यूटर से पहले हुआ था ?
2. एनालॉग कम्प्यूटर है
3. चतुर्थ पीढ़ी का मुख्य अवयव था ?
4. व्यक्तिगत तौर पर किस कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाता है ?
5. हाइब्रिड कम्प्यूटर में गुण होते है ?
6. लेपटॉप क्या है ?
7. विश्व का सबसे पहला सुपर कम्प्यूटर कब बना ?
8. माइक्रो प्रोसेसर किस पीढ़ी का कम्प्यूटर है ?
9. टेलीप्रोसेसिंग तथा टाइमशेयरिंग का प्रयोग किस पीढ़ी के कम्प्यूटर में हुआ ?
10. प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर में ………….. दोष थे ?
11. सुपर कम्प्यूटर ........
12. तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटर के मुख्य घटक हैं
13. CRAY क्या है ?
14. आकार के आधार पर कम्प्यूटर प्रकार के होते हैं
15. कार्यपद्धति के आधार पर कम्प्यूटर को .......... प्रकार में बांटा जाता है
16. निम्न में से कौन सा सबसे बड़ा , सबसे तेज और सबसे महंगा कम्प्यूटर है ?
17. टेलीविजन के आकार का कम्प्यूटर निम्न में से कौन सा है ?
18. सामान्य रूप से प्रयोग किया जाने वाला कम्प्यूटर है ?
19. मेनफ्रेम कम्प्यूटर के लिए मल्टीक्स ऑपरेटिंग सिस्टम कहाँ बनाया गया ?
20. माइक्रो कम्प्यूटर की क्षमता …………. प्रति सेकेण्ड होती है
21. प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर में मुख्य इलेक्ट्रॉनिक ………..घटक है
22. पंचम पीढ़ी के कम्प्यूटरों की प्रमुख विशेषता निम्न में से कौन सी होगी ?
23. मल्टी प्रोग्रामिंग का प्रयोग किस पीढ़ी के कम्प्यूटरों से शुरू हुआ था ?
24. भारत में निर्मित प्रथम कम्प्यूटर का क्या नाम है ?
25. सबसे तेज कम्प्यूटर होता है ?
26. ऐसे कम्प्यूटर, जो पोर्टेवल होते हैं और यात्रा करने वाले प्रयोक्ताओं के लिए सुविधाजनक होते हैं
27. भारत में निर्मित परम कम्प्यूटर किस प्रकार का कम्प्यूटर है ?
28. डिजिटल कम्प्यूटर किस सिद्धांत पर कार्य करता है ?
29. आधुनिक डिजिटल कम्प्यूटर में किस पद्धति का उपयोग किया जाता है ?
30. भारत मे विकसित परम सुपर कम्प्यूटर का विकास किस संस्था ने किया है ?
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