संधि की परिभाषा | संधि के भेद एवं उदाहरण (Sandhi Ki Paribhasha | Sandhi Ke Bhed evem Udaharan)
संधि की परिभाषा | संधि के भेद एवं उदाहरण (Sandhi Ki Paribhasha | Sandhi Ke Bhed evem Udaharan)
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हेलो
दोस्तों,
Studyfundaaa द्वारा आप सभी को प्रतिदिन प्रतियोगी परीक्षाओं
से सम्बंधित जानकारी Share की जाती है. जैसा कि हम सभी जानते
हैं कि प्रत्येक Competitive Exams में कम्प्यूटर से
सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं. आज इस पोस्ट में हम आपके समक्ष जो जानकारी share
कर रहे हैं वह संधि की परिभाषा | संधि के भेद एवं उदाहरण (Sandhi Ki Paribhasha | Sandhi Ke Bhed evem Udaharan) की है. यह पोस्ट विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के
लिए बहुत महत्वपूर्ण है
संधि की परिभाषा (Sandhi ki paribhasha)
संधि
शब्द का अर्थ दो से अधिक वर्णों का ‘मेल‘
है। संधि (सम् + धि) शब्द का अर्थ है ‘मेल‘ या जोड़। दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर से जो
विकार (परिवर्तन) होता है वह ‘संधि‘ कहलाता
है। अर्थात् संस्कृत, हिन्दी एवं अन्य भाषाओं में परस्पर
स्वरों या वर्णों के मेल से उत्पन्न विकार को संधि कहते है। (sandhi
kise kahate hain)
संधि के भेद
(Sandhi ke bhed)
संधि के मुख्यतः तीन भेद
होते हैं :
अ. स्वर संधि
ब. व्यंजन संधि
स. विसर्ग संधि
जरूर पढे़ - वाक्य की परिभाषा, भेद एवं उदाहरण
(अ)
स्वर संधि (Swar sandhi)
स्वर
के बाद स्वर अर्थात् दो स्वरों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है,
स्वर-संधि कहलाता है। (swar sandhi kise
kahate hain)
जैसे- सूर्य +
अस्त = सूर्यास्त, महा + आत्मा = महात्मा।
स्वर संधि के भेद
(Swar sandhi ke bhed)
1. दीर्घ संधि
2. गुण संधि
3. वृद्धि संधि
4. यण संधि
5. अयादि संधि
1. दीर्घ संधि
(Dirgh sandhi)
संधि
करते समय अगर (अ, आ) के साथ (अ, आ) हो तो ‘आ‘ बनता है, जब (इ, ई) के साथ (इ, ई) हो तो
‘ई‘ बनता है, जब
(उ, ऊ) के साथ (उ ,ऊ) हो तो ‘ऊ‘ बनता है। जब ऐसा होता है तो हम इसे दीर्घ संधि
कहते है। (dirgh sandhi ki paribhasha)
जैसे-
गिरि + ईश = गिरीश (इ + ई = ई)
परम + अर्थ = परमार्थ (अ + अ = आ)
कवि + ईश्वर = कवीश्वर (इ + ई = ई)
वधु + उत्सव = वधूत्सव (उ + उ = ऊ)
सीमा + अंत = सीमांत (आ + अ = आ)
जरूर पढ़े - समास की परिभाषा, भेद एवं उदाहरण
2. गुण स्वर संधि
(Gun Swar sandhi)
जब
संधि करते समय (अ,
आ) के साथ (इ , ई) हो तो ‘ए‘ बनता है, जब (अ ,आ)के साथ (उ , ऊ) हो तो ‘ओ‘
बनता है, जब (अ, आ) के
साथ (ऋ) हो तो ‘अर‘ बनता है तो यह गुण
संधि कहलाती है। (gun sandhi kise kahate hain)
जैसे-
महा + उत्सव = महोत्सव (आ + उ
= ओ)
सूर्य + ऊर्जा = सूर्योर्जा (अ + ऊ = ओ)
वीर + उचित = वीरोचित (अ + उ
= ओ)
सुर + इंद्र = सुरेन्द्र (अ +इ = ए)
महा + ऋषि = महर्षि (आ + ऋ = अर)
3. वृद्धि संधि
(Vridhi sandhi)
संधि
करते समय ‘अ‘ या ‘आ‘ के बाद ‘ए‘ या ‘ऐ‘ आए तो दोनों के मेल से ‘ऐ‘ हो जाता है तथा ‘अ‘ और ‘आ‘ के पश्चात ‘ओ‘ या ‘औ‘ आए तो दोनों के मेल से ‘औ‘ हो
जाता है। वृद्धि संधि कहलाता है। (vridhi sandhi ki
paribhasha)
जैसे-
महा + ऐश्वर्य
= महैश्वर्य (आ + ऐ = ऐ)
दंत + ओष्ठ = दंतोष्ठ (अ + ओ = औ)
परम + औषध = परमौषध (अ + औ = औ)
जल + ओघ =
जलौघ (अ +
ओ = औ)
महा + औषध = महौषद (आ + औ = औ)
जरूर पढे़ - अलंकार | अलंकार की परिभाषा | अलंकार के भेद
4. यण संधि
(Yan sandhi)
जब
संधि करते समय इ, ई के साथ कोई अन्य स्वर
हो तो ‘य‘ बन जाता है, जब उ, ऊ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘व‘ बन जाता है, जब ऋ के साथ
कोई अन्य स्वर हो तो ‘र‘ बन जाता है। (yan
sandhi ki paribhasha)
जैसे-
सु + अच्छ = स्वच्छ (उ + अ = व)
प्रति + अक्ष = प्रत्यक्ष (इ + अ = य)
सु +आगत = स्वागत (उ + आ = वा)
अति + अंत = अत्यंत (इ + अ = य)
देवी + आगमन = देव्यागमन (इ + आ =
या)
5. अयादि संधि
(Ayadi sandhi)
जब
संधि करते समय ए, ऐ, ओ,
औ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ए का अय, ऐ का
आय, ओ का अव, औ का आव बन जाता है। यह
अयादि संधि कहलाती है। (ayadi sandhi ki paribhasha)
जैसे -
पो +अन = पवन (ओ
+ अ = अव)
पौ + अक = पावक (औ
+ अ = आव)
पौ + अन = पावन (ओ
+ अ = आव)
नै + अक = नायक (ऐ
+ अक = आय)
नै + इका = नायिका (ऐ + इ = आयि)
जरूर पढे़ - विराम चिन्ह की परिभाषा, भेद एवं उदाहरण
(ब)
व्यजंन संधि (Vyanjan sandhi)
जब
संधि करते समय व्यंजन के साथ स्वर या कोई व्यंजन मिलने से जो रूप में परिवर्तन
होता है,
उसे ही व्यंजन संधि कहते है। यानी जब दो वर्णों में संधि होती है तो
उनमें से पहला यदि व्यंजन होता है और दूसरा स्वर या व्यंजन होता है तो उसे हम ‘व्यंजन संधि‘ कहते हैं। (vyanjan
sandhi ki paribhasha)
जैसे -
दिक् +अम्बर = दिगम्बर
अभी + सेक = अभिषेक
दिक् + गज = दिग्गज
जगत + ईश = जगदीश
दिक् + भ्रम = दिग्भ्रम
(स)
विसर्ग संधि (Visarg sandhi)
जब
संधि करते समय विसर्ग के बाद स्वर या व्यंजन वर्ण के आने से जो विकार उत्पन्न होता
है,
उसे विसर्ग संधि कहते है। (visarg
sandhi ki paribhasha)
अंतः + करण = अन्तकरण
तपः + बल = तपोबल
निः + चिंत = निश्चिंत
नमः + ते = नमस्तें
मनः + अनुकूल = मनोनुकल
संधि
के महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न (30 important Sandhi MCQ Quiz)
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1. दो वर्णों के मेल से होने वाले विकार को कहते है।
2. संधि कितने प्रकार के होते है ?
3. दयानन्द में प्रयुक्त संधि का नाम है
4. सदैव में प्रयुक्त संधि का नाम है
5. निम्न में से कौन सा शब्द दीर्घ संधि का उदाहरण नहीं है
6. पवित्र में प्रयुक्त संधि का नाम है
7. निरर्थक का सही संधि विच्छेद है
8. निराशा का सही संधि विच्छेद है
9. आशीर्वाद का सही संधि विच्छेद है
10. 'सन्मति' का सही संधि विच्छेद है
11. 'परोपकार' में प्रयुक्त संधि का नाम है
12. 'निश्चल' का सही संधि विच्छेद है
13. 'सप्तर्षि' का सही संधि विच्छेद है
14. 'स्वागत' में प्रयुक्त संधि का नाम है
15. निम्न शब्दों में से किसमे स्वर संधि है
16. 'गायक' का सही संधि विच्छेद है
17. 'यद्यपि' में प्रयुक्त संधि का नाम है
18. 'पवित्र' की सही संधि विच्छेद है
19. 'प्रत्येक' का सही संधि विच्छेद है
20. 'नायक' में प्रयुक्त संधि का नाम है
21. 'यशोदा' में प्रयुक्त संधि का नाम है
22. 'संगम' का सही संधि विच्छेद है
23. 'भानूदय' में प्रयुक्त संधि का नाम है
24. 'हरीशचन्द्र' में प्रयुक्त संधि का नाम है
25. 'उल्लेख' का सही संधि विच्छेद है
26. 'दिगम्बर' का सही संधि विच्छेद है
27. 'सत्याग्रह' में प्रयुक्त संधि का नाम है
28. 'काव्योर्मि' का सही संधि विच्छेद है
29. 'निरुत्तरका' सही संधि विच्छेद है
30. 'सन्मार्ग' में प्रयुक्त संधि है
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